
विश्व कैंसर रोकथाम संघ की ओर से 2008 में चार फरवरी को 'विश्व कैंसर दिवस' के रूप में मनाए जाने की
घोषणा की। जिसका प्राथमिक लक्ष्य 2020 तक कैंसर की बीमारी और इससे होने वाली मौतों में कमी
लाना है।
यह एक चौंकाने वाला तथ्य है कि केवल भारत में ही हर साल 11 लाख कैंसर के नए मामले समाने
आते हैं। इसके साथ ही, भारत में स्तन कैंसर और मुंह के कैंसर के मरीजों की संख्या में
लगातार इजाफा देखा जा रहा है।
लोगों में भ्रम है कि कैंसर केवल वृद्धावस्था में ही हो सकता है जबकि ऐसा नहीं
है। आजकल के खान—पान और बदलती जीवन शैली के चलते यह
हर उम्र के व्यक्ति में देखा जाने लगा है।
अकसर माना जाता है कि कैंसर जैसी बीमारी का अंत मृत्यु ही है लेकिन सच तो यह है
कि समय पर यदि इसका इलाज कराया जाए तो फिर से सामान्य जीवन जिया जा सकता है।
इसके लिए आवश्यक है कि कैंसर के लक्षणों के प्रति सजगता बरती जाए। समय—समय पर चिकित्सक से जांच
कराएं। तंबाकू का सेवन न करें। हरी सब्जियों को अधिक से अधिक अपने भोजन में शामिल करें।
शरीर में किसी तरह के अचानक उभरे परिवर्तन को नज़रअंदाज न करते हुए चिकित्सक से परामर्श
लें। यदि आप नियमित व्यायाम करें तो यह स्वास्थ्य के लिए सदैव हितकर है।