कुछ रिश्ते हमने उनसे तोड़े और कुछ उन्होंने हमसे तोड़े,
हमें यकीं था कि
सिरहाने रखे वो पल फिर लौट आयंगे,
जब चाहा उन्हें छूना
वो बोले
अब हम किसी और के हो जायेंगे,
हजारों बार कहा उनसे के आप बात नहीं करेंगे तो हम मर जायंगे
उठकर चल दिए के अब लौट नही पायंगे,
मजबूर वो हैं के हंम
इतना भी नहीं जानते,
चाहते हैं उन्हें इतना
लफ्ज़ कह नहीं पायंगे,
दरख्तों पे हमने कभी लिखा नहीं
क्यूंकि उस अर्श पे लिखना चाहा था
क्यूंकि उस अर्श पे लिखना चाहा था
बस एक उनका ........नाम!
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