भारत में करोड़पतियों की कोई कमी नही है. एक वक़्त था जब इनकी गिनती मुट्ठी भर लोगों में की जाती थी लेकिन आज कई भारतियों की गिनती विश्व के उद्योगपतियों में की जाने लगी हैं. देश ऊंचाइयों को छू आगे निकले तो प्रसन्नता होती है. ऐसी ही एक दिल को छू जाने वाली घटना हाल ही में टीवी पर दिखी.
बिहार के एक गरीब युवक ने ' कौन बनेगा करोड़पति ' से 5 करोड़ रुपये की धनराशि जीती. जी! पेशे से मनरेगा में बतौर कंप्यूटर ऑपरेटर ने जब यह धन राशि जीती भी नही थी तभी उसने उस धनराशि का उपयोग कहाँ करना चाहता है यह बताया. उसका कहना था की यदि वह यहाँ से 5 करोड़ रुपये जीत जाता है तो वह अपने घर की जरूरतों को पूरा करने के बाद पास के दो बच्चों की मदद करेगा जिनमे उसे प्रतिभा दिखाई देती है. यदि उनपर ध्यान नही दिया गया तो वे किसी चाय या ढाबे पर जाकार काम करेंगे उनका भविष्य यही होगा.
सुशील कुमार की ऐसी सोच देख अच्छा लगा. खुद सुशील भी हालातों के मारे करोड़ों भारतीयों में से एक चेहरा था जिसने अपनी काबिलियत के दम पर अपना सपना पूरा कर दिखाया. यह सच है के भारत में प्रतिभा ऐसे गाँवों में भरी पड़ी है वहां इनकी अहमियत ना जान उन्हें आगे आने का मौक़ा नही मिल पाता. सुशील कुमार को केवल 5 करोड़ मिले जो उसके जीवन में बड़ा महत्त्व रखते हैं और जैसा पहले भी बताया है ऐसा नही है की करोड़ों का मालिक केवल वही है. लेकिन वह इंसान अपने 5 करोड़ को 10 करोड़ बनाने के लालच में नही है जैसा के भारत में हर दूसरा व्यक्ति कर रहा है. आज पैसे का लालच लोगों में इस कदर बढ़ गया है के यदि भीड़ से आगे निकलना है तो वह सामने वाले पर पैर रख कर, कुचलकर ही आगे जाने में विशवास रखता है. सुशील ने हर उस भारतीय के लिए नजीर पेश की है जो खुद पर भरोसा करते हैं. साथ ही उससे लालचियों को भी सीख लेनी चाहिए जो देश के गरीबों के मुंह से निवाला छीन विदेशी बैंकों में जमाखोरी करते हैं. कम से कम अपना पेट भरने के बाद हमे दूसरों यानी अन्य जरुरतमंदों की सहायता करनी चाहिए जो मानवता का प्रथम कर्त्तव्य भी है.
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