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Friday, October 5, 2012

हरियाणा: हजार पर केवल आठ सौ सतत्तर...

वन्दना शर्मा

हाल ही में दिल्ली की कुछ गैर सरकारी संगठनों (एनजीओ) के साथ मुझे हरियाणा राज्य के कुछ क्षेत्रों में घूमने का अवसर मिला। हरियाणा राज्य का नाम लेते ही अनायास ही मन में यह बात सामने आती है कि यहां लिंगानुपात बेहद कम है। और यही गिरता लिंगानुपात देश और सरकार के लिए चिंता का विषय है।

‘सार्थक पहल‘ और ‘यूफाइवएमसी‘ नाम के ये संगठन इस राज्य के 365 गांवों की ऐसी महिलाओं को सम्मानित करने जा रहे हैं जिन्होने कन्या भ्रूणहत्या की भेड़ चाल को छोड़ अपने घरों में बेटी का स्वागत किया। इसकी एक पहल के रूप में इसे भी देखा जा सकात है कि पिछले महीने झज्जर के एक गांव मुंडखेड़ा में एक बच्ची के जन्म का उत्सव मानाया गया और साथ ही कन्या के लिए कुंआ पूजन भी आयोजित किया गया। हालंाकि यह कोई बड़ी बात नहीं होने के बावजूद खुद इस राज्य के लिए बड़ी बन गई क्योंकि हरियाणा में किसी कन्या के जन्म पर ऐसा पहली बार किया गया है। 


 इन संगठनों ने राज्य में ‘कन्या जन्मोत्सव‘ मनाने का संकल्प किया है जो देश की उन महिलाओं को भी सम्मानित करंेगे जो हरियाणा की ही बेटी हैं और एक ऊंचे मकाम पर पहुंच चुकी हैं।
साल 2011 में हुई जनगणना के आंकड़ों के अनुसार हरियाणा राज्य में 1000 लड़कों के ऊपर केवल 877 लड़कियां ही हैं। जबकि 2001 की जनगणना में यह आंकड़ा 861 का था। राज्य में आंकड़ों पर गौर किया जाए तो ये सचमुच चैंकाने वाले हैं क्योंकि एक दशक में केवल 1.86 फीसदी ही सुधार दिखा।
2011 के ही राष्ट्रीय आंकड़ों के मुताबिक, एक बार भ्रूण के लिंग के पता चलने के बाद सात लाख से ज्यादा कन्याएं जन्म के समय गायब हो जाती हैंजिनकी किसी को कोई जानकारी नहीं मिल पाती।
देखा जाए तो राज्य का एक तबका जो इसके प्रति थोड़ी समझ रखता है वह इसे कहीं न कहीं शर्मिंदा है। अब भ्रूण हत्या के प्रति आवाज उठाने की क्षमता रख रहा है। इसे राकना चाहता है। जागरूकता फैलाना चाहता है। हाल ही में, जुलाई महीने में यहां कन्या भ्रूण हत्या के चिंतन पर एक महापंचायत का आयोजन किया गया था जिसे स्वयं महिलाओं की ही अध्यक्षता में किया गया, दिल्ली, हरियाणा और राजस्थान की लगभग 200 खाप पंचायतों ने इसमें भाग लिया।
वहीं हरियाणा की एक ग्राम पंचायत ने कन्या को जन्म देने वाले परिवार को एक लाख रूपये का इनाम देने की घोषणा भी की है। कन्या भ्रूणहत्या  के खिलाफ उठाया गया यह एक बेहतर कदम हो सकता है। क्योंकि भ्रूणहत्या  एक हत्या ही है।
वहीं दूसरी ओर हरियाणा राज्य में पिछले चालीस दिनों में अब तक कई बलात्कारों के मामले सामने आ चुके हंै। जिनमें हरियाणा की हुड्ड्ा सरकार अपना मुंह सिले बैठी हुई है। राज्य में महिलाओं की असुरक्षा को भी एक मुददे के तौर पर साथ लेकर चलना होगा ताकि राज्य में पलने वाली बेटियों को सुरक्षित माहौल मिल सके।
हाल ही में हुए गीतिका हत्याकांड में भी सरकार ने कोई खास दिलचस्पी न दिखाते हुए गोपाल कांडा की कंपनियों को सूत समेत मुनाफा दे दोबारा खड़ा कर दिया। ऐसे में जरूरत है सरकार ऐसी हो कि अपनी जनता को हर संभव सहयोग दे। उसे जागरूक करे  और दोषियों को सजा दे सकें।
भ्रूण हत्या को रोकने के लिए राज्य की युवतियों और युवकों को यह जागरूकता का पाठ पढ़ाना होगा कि कैसे वे इस गिरते जा रहे लिंगानुपात को संतुलित  करने में योगदान दे सकते हैं। कन्याओं को भी समानता का अधिकार देकर अपना जीवन सुखद बना सकते हैं। राज्य की स्थिति को सुधार सकते हैं।
गौरतलब है कि हरियाणा राज्य की ही कुछ ऐसी भी बेटियां हैं जो आज विश्व में अपना नाम कमा चुकी हैं। विश्व की पहली पर्वतारोही महिला संतोष यादव जो दो बार माउंट एवरेस्ट पर चढ़ाई कर चुकी हैं, गीता ने राष्ट्रमंडल खेलों में 2010 में भारत के लिए पहली बार महिला कुश्ती में स्वर्णपदक अपने नाम किया।   
इसलिए राज्य को आज ऐसी कई ओर बेटियों की दरकार है जो देश के साथ- साथ जिंदगी को ऊंचाईंयों पर ले जा सके। और यह सच भी है कि जिस क्षेत्र में स्त्री की उन्न्ति नहीं है वहां किसी भी तरह की उन्नति की कामना करना मूर्खता है।


 

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