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Wednesday, October 26, 2011

फेसबुक का बढ़ता ट्रेंड


आज का युग इंटरनेट का युग है। सोशल नेटवर्किंग साइट्स ने आज देश -विदेश  में पूरी तरह से अपनी पकड़ मजबूत कर ली है। लोगों का अधिकतर समय अब इन्हीं साइट्स पर बीतने लगा है। सोशल नेटवर्किंग साइट्स ने हजारों किलोमीटर की दूरीयों को तो जैसे खत्म सा कर दिया है। ट्विटर, माई स्पेस, गूगल प्लस या लिंक्ड इन जैसी सोशल नेटवर्किंग साइट्स की फेहरिस्त में फेसबुक सबसे पहले नम्बर पर शुमार है। यह कहना गलत नहीं होगा कि आज आंदोलनों की शुरूआत ही फेसबुक से होती है। मिस्र में सरकार का तख्ता पलट कर देने वाले आंदोलन की शुरूआत भी फेसबुक द्वारा ही की गई थी। वायल गोनिम एक ऑनलाइन कार्यकर्ता ने एक गुमनाम पेज बनाया और लोगों को तहरीर चौक पर इकट्ठा होने की अपील की। यह आंदोलन 250 लोगों की मौत का कारण बनने के बावजूद सफल रहा और ऐतिहासिक भी।
फेसबुक आज एक ट्रेंड  सा बन गया है। फेसबुक के जरिये आज उपयोगकर्ता अपनी व दोस्तों-रिश्तेदारों की फोटो, वीडियो या अन्य बातें सबके साथ सांझा करते हैं। दूर रहने वाले दोस्तों के साथ बातें करने और उनके साथ जुड़े रहने का यह एक ऐसा माध्यम है जिससे हर दिन नये-नये लोग जुड़ रहे हैं। फेसबुक की शुरूआत 4 फरवरी 2004 को हुई। इसे अभी एक दशक भी नहीं हुआ है कि इसके कुल उपयोगकर्ता 750 करोड़ है जिनमें से लगभग 352 करोड़ ऐसे हैं जिनकी उम्र 15 साल से कम है। भारत अमेरिका और इंडोनेशिया के बाद तीसरे नंबर पर आने वाला फेसबुक उपयोगकर्ता है। फेसबुक ने हाल ही में हैदराबाद में अपना एक कार्यालय खोला है। भारत में 32 करोड़ लोग फेसबुक से जुड़े हुए हैं। ८५% उपयोगकर्ता ऐसे हैं जो हर दिन इस पर लॉग इन करते हैं। ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि अगले साल तक भारत फेसबुक के लिए अमेरिका के बाद दूसरा सबसे बड़ा बाजार होगा। हालांकि गूगल की ‘गूगल प्लस‘ सोशल नेटवर्किंग सेवा ने इसके कुछ उपयोगकर्ताओं का रुख  अपनी ओर तो किया है लेकिन अब भी फेसबुक ही सबसे आगे है। भारत में फेसबुक का इतने बड़े स्तर पर प्रचलित होने के पीछे कारण यह है कि आज की पीढ़ी स्मार्टफोन हाथ में लेकर पैदा हुई है। लगभग 250 करोड़ युवा मोबाइल से फेसबुक पर लॉग इन करते हैं। एप्पल जैसी कंपनियों ने अब ऐसे फोन निकाले हैं जो बिना इंटरनेट कनेक्शन के फेसबुक तक पहुंच रखने में सक्षम हैं। फेसबुक केवल बातचीत का जरिया न होकर और भी कई भूमिकाएं अदा कर रहा है। इन दिनों फेसबुक एक सशक्त और लोकप्रिय माध्यम बनकर उभरा है जो जनता के विचारों की आवाज बन चुका है। भारत में यह अन्ना की आवाज बनी है तो अमेरीका में ओबामा की। हाल ही में फेसबुक पर अन्ना के आंदोलन के विशाल समर्थन के रूप में देखा जा सकता है। लगभग 3 लाख लोग अन्ना के भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन ‘इंडिया अगेंस्ट करप्शन‘ नाम के पेज के साथ फेसबुक पर जुडे़। इससे पहले बीते माह में भी देश में महिलाओं के खिलाफ बढ़ रहे अपराधों के लिए दिल्ली विश्वविध्यालय के छात्र-छात्राओं ने ‘स्लट वॉक‘ निकाला। जिससे फेसबुक पर जानकारी ले दिल्ली के युवा और अन्य लोग जंतर-मंतर पर एक होकर चले। दिल्ली विश्वविध्यालय  के प्रोफेसर रमेश गौतम का मानना है ‘‘आंदोलन आज फेसबुक से शुरू होते हैं। आलोचना का लोकतंत्र भी नए मीडिया से बना है।‘‘ आज समाज से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर लोग लगातार अपनी राय रखते हैं। पिछले कुछ माह तक भूमि अधिग्रहण पर लगातार चली किसानों और सरकार के बीच की लड़ाई में भी लोगों ने फेसबुक पर बहस छेड़कर किसानों का समर्थन किया। इनके अलावा भी फेसबुक पर लोगों ने एक-दूसरे को किसी विशेष मुद्दे या लक्ष्य को लेकर सुयंक्त रूप से जोड़ने के लिए कुछ ऑनलाइन कम्युनिटी और ग्रुप भी बनाए हुए हैं। हाल ही में फेसबुक पर एक ‘हिन्दू स्ट्रगल कमेटी‘ बनाई गई है जो ‘सांप्रदायिक एवं लक्षित हिंसा कानून‘ के विरोध में है। इसी तरह एक ही कॉलेज या कंपनी के सहकर्मी, कविताएं या शेरो-शायरी पसंद करने वाले युवा और इनके साथ गैर-सरकारी संस्थाएं भी अपने ग्रुप बनाकर लोगों को जोड़े हुए हैं। जो सभी के बीच संपर्क बनाने का काम करता है। इनसे हटकर देखा जाए तो आज फेसबुक युवाओं को नौकरियां भी दिला रहा है। संभावनाएं देखते हुए बहुत सी कंपनियों ने फेसबुक पर अपने जॉब पेज बनाए हुए हैं। लगभग 15000 जॉब पेजों से 3ण्50 लाख लोग जुड़े हुए हैं। इसके जरिये बहुत से युवाओं को नौकरी मिली है। कई युवाओं को फेसबुक से फ्रीलांसिंग का भी काम मिला है। युवाओं ने अपनी फेसबुक वॉल पर अपने काम से जुड़ी जानकारी दी है जो उन्हें नौकरी के लिए प्रस्ताव दिलाने में मददगार साबित होती है। फेसबुक पर कई कंपनियों ने अपने उत्पादों के विज्ञापन दिए हुए हैं जिससे कम खर्च में अंतर्राष्ट्रीय  स्तर पर ई-मार्केटिंग में भी बढ़ोत्तरी हुई है। फेसबुक उभरते हुए लेखकों के लिए एक मंच बन चुका है जो पुस्तक के विमोचन से पहले पुस्तक का कुछ अंश पाठकों की नजरों में लाने के लिए सहायक है। अब सरकारी निकायों ने अपने काम को मुस्तैदी के साथ करने के लिए खुद को फेसबुक से जोड़ लिया है। दिल्ली नगर निगम और दिल्ली पुलिस और ट्रेफिक पुलिस ने फेसबुक पर लोगों की समस्याओं का निवारण भी किया है। ऐसा बताया जा रहा है जल्दी ही रेलवे विभाग भी फेसबुक पर शिरकत करेगा।
जहां फेसबुक एक ओर लोगों के बीच सेतु का काम कर रही है वहीं दूसरी ओर फेसबुक लोगों को भटकाव की ओर भी लेकर जा रहा है। आजकल फेसबुक पर कुछ असामाजिक तत्वों द्वारा फर्जी अकाउंट बनाए जाते हैं। लंदन में हो रहे दंगों की शुरुआत का कारण भी फेसबुक ही था। लंदन के ही दो युवको ने फेसबुक पर अकाउंट बनाकर लोगों को आगजनी और लूटपाट के लिए उकसाया। कुछ झूठे अकाउंट ऐसे होते हैं जो किसी बड़ी शख्सियत के नाम पर होते हैं। हाल ही में, फेसबुक पर ब्रिटेन की मशहूर पॉप सिंगर लेडी गागा की मौत की अफवाह उड़ाई गई जिससे लोगों में अफरा-तफरी मच गई। इससे पहले भी फेसबुक से बहुत से विवादों का झमेला रहा है। पिछले साल 2010 में पाकिस्तान में फेसबुक पर बैन लगा दिया गया क्योंकि फेसबुक पर एक प्रतियोगिता आयोजित की गई थी कि लोग अपने तरीके से पैगंबर मोहम्मद की पेंटिंग बनाएं। पाकिस्तान में लगातार विरोध प्रदर्शन के बाद फेसबुक को बैन कर दिया गया। चीन में भी कम्युनिस्ट पार्टी ने फेसबुक बैन किया हुआ है ताकि लोग एक-दूसरे से न जुड़ पाए।    
जिन देशों में फेसबुक है वहां उपयोगकर्ता की लापरवाही के कारण फेसबुक पर कई हैकर फ्रेंड रिक्वेस्ट भेज पासवर्ड चोरी कर लेते हैं। फेसबुक का सबसे बड़ा खतरा है कि इस पर उपयोगकर्ता की निजी जानकारियों तक कोई भी पहुंच सकता है और गलत फायदा उठा सकता है। कंपनियां अपने विज्ञापन के साथ कुछ जानकारियां भी डालती हैं जिससे कई बार कंपनी के डाटा हैक कर लिए जाते हैं। इससे बचने के लिए फेसबुक से लगातार जुड़ते लोगों को इसके उपयोग करने से पहले इसकी पूर्ण जानकारी रखना आवश्यक हो गया है।                                  

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